विश्व कप 2023 से बाहर हुई विंडीज़
एकदिवसीय क्रिकेट में दो बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज़ भारत में होने जा रहे एक दिवसीय विश्व कप 2023 के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी है। वेस्टइंडीज़ टीम को वर्ल्ड कप क्वालिफायर में स्कॉटलैंड ने 7 विकेट से हरा दिया है, विश्व कप के पिछले 12 एडिशन में ये पहली बार होगा कि जब वेस्टइंडीज़ वनडे वर्ल्ड कप का हिस्सा नहीं होगा।
वेस्टइंडीज़ द्वारा World Cup 2023 के लिए Qualify न कर पाने से मैं हैरान नहीं हूँ लेकिन खाँटी क्रिकेट प्रेमी होने के चलते उदास हूँ और गुस्से में हूँ। सोच रहा हूँ कि आख़िर कैसे एक महान क्रिकेटिंग विरासत वाली टीम इन हालात तक पहुंच गई कि वो न तो 2022 में हुए T20 World Cup के लिए क्वालीफाई कर पाई और न ही 2023 वाले ODI World Cup के लिए क्वालीफाई कर पाई है। क्वालीफायर राऊंड में अपने से बेहद कमज़ोर मानी जाने वाली टीमों से वेस्टइंडीज़ जिस तरहं हारी है वो दिल तोड़ देने वाला है, मेज़बान ज़िम्बाब्वे तो चलो फिर भी क्रिकेट में पुराना नाम रखता है लेकिन नीदरलैंड ने जिस तरहं 374 रन का टारगेट भी चेज़ कर दिया उसने वेस्टइंडीज़ को तरस का पात्र बना दिया। कहाँ तो इस कैरेबियन टीम के तेज़ गेंदबाज़ों के सामने दुनिया के अच्छे अच्छे बल्लेबाज़ों के पाँव कांपते थे और कहां नीदरलैंड जैसी एसोशिएट टीम ने वेस्टइंडीज़ को पटक पटक कर मारा, सुपर ओवर में नीदरलैंड ने 30 रन टोक दिए और वेस्टइंडीज़ मात्र 8 रन बना पाई। रही सही कसर स्कॉटलैंड ने वेस्टइंडीज़ को मात देकर पूरी कर दी। इस टीम को देखकर यकीन ही नहीं होता कि ये वही कैरेबियन टीम है जिसमे कभी सर गैरी सोबर्स, क्लाईव लॉयड, विव रिचर्ड्स, माईकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल, कर्टली एम्ब्रोस, वॉल्श और ब्रायन लारा जैसे खिलाड़ी खेलते थे, क्रिस गेल और पोलार्ड जैसे खिलाड़ी तो अभी कल ही ही बात हैं। ये वो वेस्टइंडीज़ टीम है जिसने 1975 और 1979 में पहले दोनों वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किये थे, 2004 में चैंपियंस ट्रॉफी और उसके बाद 2012 और 2016 वाले टी20 वर्ल्ड कप भी जीते थे।
2016 के बाद तो जैसे इस कैरेबियन टीम में जीत का जज़्बा ही ख़त्म हो गया है, पहले तो ये टीम 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई और उसके बाद 2022 का टी20 वर्ल्ड कप और अब 2023 का वनडे वर्ल्ड कप भी शुरू होने से पहले ही विंडीज़ के लिए ख़त्म हो गया है। वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर समेत भारत और दुनिया भर के तमाम खिलाड़ियों ने वेस्टइंडीज़ टीम की इस हालत पर अफसोस प्रकट किया है लेकिन वीरेंद्र सहवाग ने वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड में होने वाली राजनीति पर निशाना साधा है, असल में वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड पिछले लंबे समय से भयंकर राजनीति का शिकार रहा है। समय समय पर ड्वेन ब्रेवो, ब्रायन लारा और माईकल होल्डिंग जैसे खिलाड़ी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं लेकिन वेस्टइंडीज़ बोर्ड के कामकाज पर इसका कोई असर नहीं है।
वेस्टइंडीज़ बोर्ड के अधिकारी ICC से आने वाली अधिकतर ग्रांट को खुद हज़म कर जाते हैं जबकि खेल और खिलाड़ियों पर बेहतर ढंग से निवेश करने की ज़रूरत है, इसी मुद्दे पर 2014 में वेस्टइंडीज़ की टीम कप्तान ड्वेन ब्रेवो के नेतृत्व में भारत का दौरा बीच में छोड़कर चली गई थी। कम सैलरी कैरेबियन खिलाड़ियों के लिए बड़ा मसला बना हुआ है इसके अलावा बोर्ड के पॉवरफुल अधिकारी अपने अपने द्वीप (देश) के खिलाड़ियों को मुख्य टीम में लाने की जुगत में लगे रहते हैं। अधिकार त्रिनिदाद एंड टोबैगो द्वीप के खिलाड़ियों का दबदबा वेस्टइंडीज़ टीम में रहता है जबकि जमैका, बारबाडोस और गुयाना जैसे द्वीपों के बेहतरीन खिलाड़ी भी टीम में जगहं पाने के लिए तरसते रहते हैं।
राजनीति के अलावा खिलाड़ियों के मन में राष्ट्रीयता की भावना की कमी भी इस केरेबियन टीम के खेल में गिरावट का बड़ा कारण है, दरअसल वेस्टइंडीज़ टीम को केरेबियन द्वीपों का संगठन बनाकर तैयार किया गया है, ये छोटे छोटे द्वीप अपने आप में देश हैं लेकिन ये छोटे द्वीप अपने अकेले दम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की टीम तैयार करने में सक्षम नहीं हैं इसलिए इस टीम के खिलाड़ियों में वो देशभक्ति वाला जज़्बा नज़र नहीं आता, रही सही कसर दुनिया भर में होने वाली T20 leagues ने ख़त्म कर दी है। अब टेलेंटेड केरेबियन खिलाड़ी ज़्यादा पैसों के लिए वेस्टइंडीज टीम के बजाय फ्रेंचाइज़ी टीमों को महत्व दे रहे हैं, उनकी नज़र में पैसा पहले है, विंडीज़ क्रिकेट बाद में है क्योंकि वैसे भी वो उनके अपने देश की टीम तो है नहीं, बस यही सारे कारण मिलकर वेस्टइंडीज़ क्रिकेट को गर्त में लेकर जा रहे हैं। आज हम चाहे जितनी मर्ज़ी चिंता कर लें लेकिन इन हालात से वेस्टइंडीज़ क्रिकेट का दोबारा बाउंस बैक कर पाना बेहद मुश्किल है, अब केरेबियन द्वीप समूह की जनता ही अपने क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों के प्रति विरोध जताकर उन्हें जगा सकती है वर्ना आप वेस्टइंडीज़ क्रिकेट का दौर ख़त्म समझिए।